

आज पहली बार पैरेंटिंग से हट कर अपनी मातृभाषा में कुछ लिखने जा रही हूँ, काफी shocking होगा आपके लिए, पर ये सच है की आज का मेरा ब्लॉग पोलटिकल है, 🙂 बहुत दिनों से सोच रही थी लिखूं या नही, मन में दुविधा थी, क्या इससे मेरे फॉलोवर बेस पे फर्क पड़ सकता है, मगर हाल के कुछ घटनाओ ने इस डर को तोड़ कर मुझे लिखने को मजबूर कर ही दिया ! सबसे पहले तो मैं बता दूं की मैं पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की वोटर हूँ, चुनाव के आहट से ही यह क्षेत्र देश भर में काफी चर्चा में आ गया था, और उस क्षेत्र के वोटर होने के नाते blessed भी फील कर रही हु की मेरे पास दो ऐसे उम्मीदवारों का ऑप्शन है जैसा शायद ही देश के किसी क्षेत्र के वोटर को मिला होगा, एक तरफ है देश के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर, दूसरी तरफ ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़ी हुई आतिशी , भारतीय लोकतंत्र का सबसे सुखद संयोग है की 2 पढ़े लिखे लोग आमने सामने है । कुछ लिखने से पहले सबसे पहले बता दूं की मैं अपना वोट आतिशी को देने जा रही हूँ ! और साथ में आपको ये भी बता दूं की गम्भीर की बहुत बड़ी फैन हूँ , 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल की वो पारी मेरे दिल से कभी उतर नही पाएगी, मगर क्या क्रिकेट में देश के लिए किये गए योगदान से उन्हें मैं अपना सासद चुन लू, क्या एक सजग नागरिक होने के नाते ये हमारे लोकतंत्र के लिए सही रहेगा ! मै एक मिडिल क्लास महिला हूँ मेरे ज्यादातर फॉलोवर भी इसी वर्ग से आते है, AC ड्राइंग रूम में बैठ कर हम स्लम और झुग्गी में रहने वालो की समस्या को उस हद तक नही समझ सकते, मगर एक मॉ होने के नाते एक मॉ का दर्द समझ सकती हूँ , हर मॉ बाप अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते है, चाहे वो गरीब हो या अमीर, मगर गरीब के सामने सबसे बड़ी समस्या है उसके पास पैसे नही है कान्वेंट में पढ़ाने को और सरकारी स्कूल ऐसी हालात में नही की उन में बच्चे अच्छी शिक्षा पा सके। मगर शायद दिल्ली में आज ऐसी स्थिति नहीं है, सरकारी स्कूलों के परिणाम प्राइवेट से सिर्फ टक्कर ही नही ले रहे आगे भी निकल रहे है , इंफ्रास्ट्रक्चर और पढ़ाई दोनों के मामले ये बराबरी तक पहुचने की कोशिश में है, दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल की बेलगाम बढ़ती फी पर लगाम भी लगाया गया है, एक ईमानदार प्रयास शायद आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सरकारी शिक्षा को सही करने के लिए हो रहा है, और इन सबके पीछे एक पूरी टीम काम कर रही है, जिसमें महत्वपूर्ण भूमिका में है हमारी प्रत्याशी आतिशी! यह कारण ही काफी सबल था मुझे आतिशी को चुनने के लिए मगर पिछले कुछ दिनों की घटनाओ ने मुझे आतिशी के करीब और इसलिए पहुचाया जब एक बहुत घिनौना पम्पलेट बटने की घटना ने पूरे देश की राजनीति को झकझोरा, मुझे नही पता ये किसने किया है, गंभीर ऐसा नही कर सकते मुझे भी लगता है ,मगर उनकी पार्टी के कुछ नेताओ को जब आतिशी के पति के बारे में पूछते देखा, तब एक महिला के नाते एक हजारवीं बार फिर से मन किया कि इस पुरुष मानसिकता को तो पराजित करना ही पड़ेगा, हम दिल्ली वाले है, हम विश्व के एक मात्र धर्मनिरपेक्ष देश की राजधानी है, हमारे एक वोट से आतंक और धार्मिक उन्माद झेल रही दुनिया में हमारी एकता और अखण्डता का संदेश जाएगा , हम जाती धर्म पर नही स्कूल अस्पताल पर वोट करने वाले सभ्य समाज के लोग है, और हम करेंगे तो शायद देश भी हमे फॉलो करेगा मुझे नही पता आप की राजनीतिक सोच क्या है मगर अगर आप एक मॉ है तो उस मॉ के बारे में जरूर सोचना जिसके बच्चे आर्थिक तंगी के बाद भी अच्छी शिक्षा ले रहे है, उस महिला के बारे में जरूर सोचना जिसकी सफलता से घबरा कर लोग उसके पति का पता पूछ रहे है और उस स्कूल को जरूर देखना जिसमे आप वोट देने जाओ,शायद आपके लिए भी निर्णय लेना उतना ही आसान हो जाएगा जितना मेरे लिए हो गया है 🙂 और आप सबको advance में happy mothers day 🙂 |